ताजमहल का अनसुना रहस्य जिसे जानकार आप हो जाओगे हैरान
ताजमहल जिसे प्यार की निशानी कहा जाता है हिन्दुओ के अनुसार ताजमहल एक शिव मंदिर है
जिसका असली नाम तेजोमहालय है क्योकि किसी भी मुस्लिम देश में ऐसी कोई इमारत ही नहीं है जिसके नाम में महल आये, क्योकि 'महल मुस्लिम शब्द नहीं है' ऐसी और भी कही बाते है
यदि इतिहास पे नजर डाली जाए तो ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था शाहजहाँ ने कुल सात शादिया की थी और ताजमहल को चौथी बेगम मुमताज की याद में बनबाया था
मुमताज की मौत 14 बच्चे को जन्म देने के समय हुई थी मुमताज की मौत के बाद शाहजहाँ ने मुमताज की बहन से शादी कर ली थी.
ताजमहल जो की विश्व का सातवा अजूबा है इसे बनाने में 22 साल लगे इसे बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ और 1653 में ख़त्म हुआ इसे पूरा करने में लगभग 22000 मजदूरों का हाथ था
जिसका असली नाम तेजोमहालय है क्योकि किसी भी मुस्लिम देश में ऐसी कोई इमारत ही नहीं है जिसके नाम में महल आये, क्योकि 'महल मुस्लिम शब्द नहीं है' ऐसी और भी कही बाते है
यदि इतिहास पे नजर डाली जाए तो ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था शाहजहाँ ने कुल सात शादिया की थी और ताजमहल को चौथी बेगम मुमताज की याद में बनबाया था
मुमताज की मौत 14 बच्चे को जन्म देने के समय हुई थी मुमताज की मौत के बाद शाहजहाँ ने मुमताज की बहन से शादी कर ली थी.
ताजमहल जो की विश्व का सातवा अजूबा है इसे बनाने में 22 साल लगे इसे बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ और 1653 में ख़त्म हुआ इसे पूरा करने में लगभग 22000 मजदूरों का हाथ था
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